Parvati Chalisa is a prayer with forty verses dedicated to Goddess Parvati, the wife of Lord Shiva. Originating in India centuries ago, this hymn is an expression of devotion and worship towards Mother Parvati. Devotees use these verses to convey gratitude and praise her divine powers. Chanting Parvati Chalisa is a spiritual journey that brings peace and inner strength to overcome challenges in life. This poem describes the virtues and glory of Goddess Parvati and is a significant part of Hindu rituals and prayers.
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What is Parvati Chalisa?
Parvati Chalisa is a devotional hymn comprising forty verses dedicated to Goddess Parvati, who is also revered as Adi Shakti and holds an important place in Hinduism. The term Chalisa stems from the Hindi word “chalis,” which means “forty,” reflecting the structure of these devotional hymns. The main purpose of offering Chalisa of Goddess Parvati is to express love, reverence, and devotion to her. Through its verses, one can delve into the divine qualities of the goddess and seek her blessings for various aspects of life. By reciting Parvati Chalisa with pure intent and devotion, one can experience spiritual fulfillment and blessings from the goddess.
Parvati Chalisa: पार्वती चालीसा
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि, गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि ।
।। चौपाई ।।
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो ।
तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता ।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे ।
ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर ।
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्य लहराए ।
कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ ।
बालारुण अनंत छवि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी ।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजित हरी चतुरानन ।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।
गिर कैलाश निवासिनी जय जय, कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।
त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।
हैं महेश प्राणेश, तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब ।
बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी ।
सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर ।
कंठ हलाहल को छवि छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगन के हित अस किन्हों, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा ।
सौत सामान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।
तेहि कों कमल बदन मुर्झायो, लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।
नित्यानंद करी वरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।
अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी , माहेश्वरी ,हिमालय नन्दिनी ।
काशी पूरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं ।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे ।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतप्राणा परमेश्वरी सती ।
तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सो जब शिक्षा लीनी ।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ।
पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे ।
तव तव जय जय जयउच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए ।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसो, चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिनसों ।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए ।
करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा ।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा ।
।। दोहा ।।
कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी, पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी ।
Significance of Parvati Mata ki Chalisa
Parvati Chailisa is a devotional hymn dedicated to Goddess Parvati in Hinduism. It can bring peace, emotional stability, and a deeper connection with the divine. Reciting it with devotion can invoke the blessings of Goddess Parvati and lead to inner peace.
The Chailisa is believed to strengthen the bond with the divine mother through regular practice and reflection on its meanings. embodying qualities like courage and compassion can deepen the connection with the divine.
Conclusion:-
Parvati Chailsa is an important Hindu devotional hymn that connects devotees with the divine feminine aspect of God. It consists of 40 verses describing the virtues and qualities of Goddess Parvati. Believers are encouraged to embody these values in their daily lives. By offering sincere devotion and following the teachings of the Chailsa, spiritual awakening, inner peace, and harmony can be achieved.
It is considered essential in Hindu rituals, ceremonies, and daily prayers, serving as a link between earthly reality and celestial consciousness, guiding followers towards divine enlightenment and liberation.
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