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Brihaspati Dev Ki Aarti | श्री बृहस्पति देव की आरती

“Brihaspati Dev Ki Aarti” is a devotional hymn dedicated to Lord Brihaspati, also known as Guru or Jupiter, the revered teacher of the gods and a symbol of wisdom, knowledge, and prosperity. This aarti is sung by devotees to seek the blessings of Brihaspati Dev for guidance, intellectual growth, and success in life.

Chanting this aarti on Thursdays, the day associated with Brihaspati Dev, is considered highly auspicious and is believed to bring positive energy, harmony, and spiritual enlightenment.

The rhythmic and heartfelt verses of the aarti create a divine connection with Brihaspati Dev, filling the atmosphere with devotion and reverence.

Brihaspati Dev Ki Aarti in Hindi

जय वृहस्पति देवा,
ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,
कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटा‌ओ,
संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

Brihaspati Dev Ki Aarti in English

Jai Brihaspati Deva,
Om Jai Vrhaspati Deva ।
Chhin Chhin Bhog Laga‌on,
Kadli Phal Meva ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥Tum Puran Paramatma,
Tum Antaryami ।
Jagatapita Jagadishvar,
Tum Sabake Swami ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Charanamrt Nij Nirmal,
Sab Patak Harta ।
Sakal Manorath Dayak,
Kripa Karo Bharta ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Tan, Man, Dhan Arpan Kar,
Jo Jan Sharan Pade ।
Prabhu Prakat Tab Hokar,
Aakar Dwar Khade ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Deenadayal Dayanidhi,
Bhaktan Hitakari ।
Paap Dosh Sab Harta,
Bhav Bandhan Haree ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Sakal Manorath Dayak,
Sab Sanshay Haro ।
Vishay Vikar Mita‌o,
Santan Sukhakari॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Jo Koi Aarti Teri,
Prem Sahit Gave ।
Jethanand Aanandakar,
So Nishchay Pave ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Sab Bolo Vishnu Bhagawan Ki Jai ॥
Bolo Brihaspati Bhagawan Ki Jai ॥

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“Shree Ram Chandra Kripalu Lyrics” is a deeply revered and soulful hymn dedicated to Lord Shri Ram. Composed by the great poet-saint Goswami Tulsidas, this devotional stotra is a part of his timeless work Ramcharitmanas. The hymn glorifies Lord Ram as a symbol of compassion, righteousness, and divine grace, describing his virtues and majestic persona.

Chanting or singing this stotra is believed to invoke the blessings of Lord Ram, bringing peace, harmony, and spiritual upliftment to devotees. Its profound verses resonate with devotion and inspire one to walk on the path of dharma and truth.

Shree Ram Chandra Kripalu Lyrics in Hindi

॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

Shree Ram Chandra Kripalu Lyrics in English

॥ Doha ॥
Shri Ramachandra Kripalu Bhajuman,
Harana Bhavabhaya Daarunam ।
Navakanja Lochana Kanja Mukhakara,
Kanja Pada Kanjaarunam ॥1॥

Kandarpa Aganita Amita Chhav Nava,
Neela Neerara Sundaram ।
Patapita Maanahum Tadita Ruchi Shuchi,
Navmi Janaka Sutaavaram ॥2॥

Bhaju Deena Bandhu Dinesh Daanav,
Daityavansha Nikandanam ।
Raghunanda Aananda Kanda Kaushala,
Chanda Dasharatha Nandanam ॥3॥

Sira Mukuta Kundala Tilaka Chaaru,
Udaaru Anga Vibhooshanam ।
Aajaanu Bhuja Shara Chaapadhara,
Sangraama-jita-khara Dooshanam ॥4॥

Iti Vadati Tulsidas Shankar,
Shesha Muni Manaranjanam ।
Mama Hridayakanja Nivaas Kuru,
Kaamaadi Khaladal Ganjanam ॥5॥

Manu Jaahin Raacheu Milihi so Baru,
Sahaja Sundara Saanvaro ।
Karuna Nidhaan Sujaan Seelu,
Sanehu Jaanat Raavaro ॥6॥

Ehi Bhaanti Gauri Asees Suni Siya,
Sahita Hiyan Harashi Ali ।
Tulsi Bhavaanihi Pooji Puni Puni,
Mudit Man Mandir Chalee ॥7॥

॥ Sortha ॥
Jaani Gauri Anukool,
Siya Hiya Harashu Na Jaye Kaheen ।
Manjula Mangala Moola,
Bam Anga Pharkana Lage ।

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Ganesh Ji Ki Kahani | श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

“Ganesh Ji Ki Kahani” एक प्राचीन और प्रेरणादायक कथा है जो भगवान श्री गणेश की अनुकम्पा और एक साधारण महिला के जीवन में उनके आशीर्वाद की शक्ति को दर्शाती है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि भक्ति और श्रद्धा से भगवान श्री गणेश हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति ला सकते हैं, चाहे हम किसी भी अवस्था में हों। बुढ़िया माई की कथा में भगवान गणेश ने अपनी कृपा से उसकी कठिनाइयों को दूर किया और उसे जीवन में नई दिशा और आशीर्वाद दिया। इस कथा के माध्यम से हमें यह समझने को मिलता है कि भगवान गणेश सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि वे हमारे जीवन के कठिन समय में सहायक और मार्गदर्शक होते हैं।

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था। वो बोली पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले। जितने हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे। बुढ़िया बोली राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। अब उनकी दीवार टेढ़ी हो गई। वो चिनें और ढा देवें, चिने और ढा देवें। इस तरह करते-करते शाम हो गई। शाम को सेठ आया उसने कहा आज कुछ भी नहीं किया।

वो कहने लगे एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने नहीं घड़ा तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से दीवार सीधी नहीं बन रही है। बनाते हैं और ढ़ा देते हैं।

सेठ ने बुढ़िया बुलवाई। सेठ ने कहा हम तेरा सोने का गणेश गढ़ देंगे। हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को सोने का गणेश गढ़ा दिया। सेठ की दीवार सीधी हो गई। जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी सबकी करना।

Shri Ganesh Aur Budhiya Mai Ki Kahani

There was an old lady. She used to worship Ganesha made of clay. It would melt every day. A rich man’s house was being built. She said make a Ganesha of stone. The mason said. We will not be able to build our wall in the time it takes to make your stone Ganesha. The old lady said may God make your wall crooked. Now their wall became crooked. They built and demolished, built and demolished. In this way it became evening. In the evening the rich man came and said that nothing was done today.

They said an old lady had come and was saying make a Ganesha of stone for me, we did not build it, so she said your wall should become crooked. Since then the wall is not becoming straight. Let us make it and demolish it.

The rich man called the old lady. The rich man said we will make a Ganesha of gold for you. Make our wall straight. The rich man made a Ganesha of gold for the old lady. The rich man’s wall became straight. Just like you made the rich man’s wall straight, do the same to everyone.

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Radha Kripa Kataksh Stotram Lyrics| राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र

“Radha Kripa Kataksh Stotram” is a powerful and devotional hymn dedicated to Goddess Radha, the beloved consort of Lord Krishna. This stotram is a prayer seeking the divine grace and blessings of Radha, whose compassionate glance (Kataksh) is believed to have the power to remove obstacles and bestow peace, prosperity, and spiritual elevation. The lyrics of this stotra praise Radha’s divine qualities, her infinite love for Krishna, and her role as a compassionate mother figure for all beings.

Devotees recite this stotram with deep reverence, hoping to invoke her divine mercy and establish a closer connection with the Supreme. It is particularly cherished by followers of the Gaudiya Vaishnavism tradition, as it emphasises the transformative power of Radha’s blessings in leading a soul toward liberation and eternal bliss.

Radha Kripa Kataksh Stotram: Checkout

मुनीन्द्र–वृन्द–वन्दिते त्रिलोक–शोक–हारिणि
प्रसन्न-वक्त्र-पण्कजे निकुञ्ज-भू-विलासिनि
व्रजेन्द्र–भानु–नन्दिनि व्रजेन्द्र–सूनु–संगते
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥१॥अशोक–वृक्ष–वल्लरी वितान–मण्डप–स्थिते
प्रवालबाल–पल्लव प्रभारुणांघ्रि–कोमले ।
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥२॥

अनङ्ग-रण्ग मङ्गल-प्रसङ्ग-भङ्गुर-भ्रुवां
सविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त–बाणपातनैः ।
निरन्तरं वशीकृतप्रतीतनन्दनन्दने
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥३॥

तडित्–सुवर्ण–चम्पक –प्रदीप्त–गौर–विग्रहे
मुख–प्रभा–परास्त–कोटि–शारदेन्दुमण्डले ।
विचित्र-चित्र सञ्चरच्चकोर-शाव-लोचने
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥४॥

मदोन्मदाति–यौवने प्रमोद–मान–मण्डिते
प्रियानुराग–रञ्जिते कला–विलास – पण्डिते ।
अनन्यधन्य–कुञ्जराज्य–कामकेलि–कोविदे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥५॥

अशेष–हावभाव–धीरहीरहार–भूषिते
प्रभूतशातकुम्भ–कुम्भकुम्भि–कुम्भसुस्तनि ।
प्रशस्तमन्द–हास्यचूर्ण पूर्णसौख्य –सागरे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥६॥

मृणाल-वाल-वल्लरी तरङ्ग-रङ्ग-दोर्लते
लताग्र–लास्य–लोल–नील–लोचनावलोकने ।
ललल्लुलन्मिलन्मनोज्ञ–मुग्ध–मोहिनाश्रिते
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥७॥

सुवर्णमलिकाञ्चित –त्रिरेख–कम्बु–कण्ठगे
त्रिसूत्र–मङ्गली-गुण–त्रिरत्न-दीप्ति–दीधिते ।
सलोल–नीलकुन्तल–प्रसून–गुच्छ–गुम्फिते
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥८॥

नितम्ब–बिम्ब–लम्बमान–पुष्पमेखलागुणे
प्रशस्तरत्न-किङ्किणी-कलाप-मध्य मञ्जुले ।
करीन्द्र–शुण्डदण्डिका–वरोहसौभगोरुके
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥९॥

अनेक–मन्त्रनाद–मञ्जु नूपुरारव–स्खलत्
समाज–राजहंस–वंश–निक्वणाति–गौरवे ।
विलोलहेम–वल्लरी–विडम्बिचारु–चङ्क्रमे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥१०॥

अनन्त–कोटि–विष्णुलोक–नम्र–पद्मजार्चिते
हिमाद्रिजा–पुलोमजा–विरिञ्चजा-वरप्रदे ।
अपार–सिद्धि–ऋद्धि–दिग्ध–सत्पदाङ्गुली-नखे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥११॥

मखेश्वरि क्रियेश्वरि स्वधेश्वरि सुरेश्वरि
त्रिवेद–भारतीश्वरि प्रमाण–शासनेश्वरि ।
रमेश्वरि क्षमेश्वरि प्रमोद–काननेश्वरि
व्रजेश्वरि व्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ॥१२॥

इती ममद्भुतं-स्तवं निशम्य भानुनन्दिनी
करोतु सन्ततं जनं कृपाकटाक्ष-भाजनम् ।
भवेत्तदैव सञ्चित त्रिरूप–कर्म नाशनं
लभेत्तदा व्रजेन्द्र–सूनु–मण्डल–प्रवेशनम् ॥१३॥

राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।
एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥१४॥

यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।
राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥१५॥

ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।
राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥

तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।
ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥

तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।
येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥१८॥

नित्यलीला–प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः ।
अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥१९॥
॥ इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥

Radha Kripa Kataksh Stotram मंत्र का मूल रूप

मुनीन्द्रवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,
प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी ।
व्रजेन्द्रभानुनन्दिनी व्रजेन्द्र सूनुसंगते,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१॥

अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते,
प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले ।
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥२॥

अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां,
सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः ।
निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥३॥

तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे,
मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले ।
विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥४॥

मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते,
प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते ।
अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥५॥

अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते,
प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी ।
प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥६॥

मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते,
लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने ।
ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥७॥

सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे,
त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति ।
सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥८॥

नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण,
प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले ।
करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥९॥

अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्,
समाजराजहंसवंश निक्वणातिग ।
विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१०॥

अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते,
हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे ।
अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥११॥

मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,
त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी ।
रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी,
ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ॥१२॥

इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी,
करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम् ।
भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं,
लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम् ॥१३॥

राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।
एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥१४॥

यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।
राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥१५॥

ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।
राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥

तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।
ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥

तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।
येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥१८॥

नित्यलीला–प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः ।
अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥१९॥

॥ इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥

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Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge Ram Aayenge Lyrics: Checkout

“Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge Ram Aayenge Lyrics” is a beautiful and heartfelt devotional bhajan that reflects the deep love and reverence of devotees towards Lord Rama. The lyrics express the joyous anticipation and overwhelming gratitude of a devotee who feels blessed by the Lord’s divine presence. The phrase “meri jhopdi ke bhag” symbolizes the humble life of the devotee, which is enriched and uplifted by the grace of Lord Rama.

This bhajan captures the essence of unwavering faith and the transformative power of divine blessings, making it a source of inspiration and spiritual connection for listeners during bhajan sessions, Ram Navami celebrations, and other devotional gatherings.

Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge Ram Aayenge Lyrics in Hindi

मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे,
राम आएँगे आएँगे,
राम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे ॥राम आएँगे तो,
आंगना सजाऊँगी,
दिप जलाके,
दिवाली मनाऊँगी,
मेरे जन्मो के सारे,
पाप मिट जाएंगे,
राम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे ॥

राम झूलेंगे तो,
पालना झुलाऊँगी,
मीठे मीठे मैं,
भजन सुनाऊँगी,
मेरी जिंदगी के,
सारे दुःख मिट जाएँगे,
राम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे ॥

मैं तो रूचि रूचि,
भोग लगाऊँगी,
माखन मिश्री मैं,
राम को खिलाऊंगी,
प्यारी प्यारी राधे,
प्यारे श्याम संग आएँगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे ॥

मेरा जनम सफल,
हो जाएगा,
तन झूमेगा और,
मन गीत गाएगा,
राम सुन्दर मेरी,
किस्मत चमकाएंगे,
राम आएँगे,
मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे ॥

मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे,
राम आएँगे आएँगे,
राम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
राम आएँगे ॥
——————-
मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे,
श्याम आएँगे आएँगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे ॥

श्याम झूलेंगे तो,
पालना झुलाऊँगी,
मीठे मीठे मैं,
भजन सुनाऊँगी,
मेरी जिंदगी के,
सारे दुःख मिट जाएँगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे ॥

श्याम आएँगे तो,
आंगना सजाऊँगी,
दिप जलाके,
दिवाली मनाऊँगी,
मेरे जन्मो के सारे,
पाप मिट जाएंगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे ॥

मैं तो रूचि रूचि,
भोग लगाऊँगी,
माखन मिश्री मैं,
श्याम को खिलाऊंगी,
प्यारी प्यारी राधे,
प्यारे श्याम संग आएँगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे ॥

मेरा जनम सफल,
हो जाएगा,
तन झूमेगा और,
मन गीत गाएगा,
श्याम सुन्दर मेरी,
किस्मत चमकाएंगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे ॥

मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे,
श्याम आएँगे आएँगे,
श्याम आएँगे,
मेरी झोपडी के भाग,
आज खुल जाएंगे,
श्याम आएँगे ॥

Lyrics: Late Shyam Sundar Sharma

Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge Ram Aayenge Lyrics in English

Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge Jayenge,
Ram Ayenge,
Ram Ayenge Ayenge,
Ram Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge ॥Ram Ayenge to,
Angna Sajaungi,
Dip Jalake,
Diwali Manaungi,
Mere Janmo Ke Saare,
Paap Mit Jayenge,
Ram Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge ॥

Raam Jhulenge to,
Palna Jhulaungi,
Mithe Mithe Main,
Bhajan Sunaungi,
Meri Jindagi Ke,
Saare Duhkh Mit Jayenge,
Ram Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge ॥

Main to Ruchi Ruchi,
Bhog Lagaungi,
Makhan Mishri Main,
Raam Ko Khilaungi,
Pyari Pyari Radhe,
Pyare Shyam Sang Ayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge ॥

Mera Janam Saphal,
Ho Jayega,
Tan Jhumega Aur,
Man Geet Gayega,
Ram Sundar Meri,
Kismat Chamkayenge,
Ram Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge ॥

Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge,
Ram Ayenge Ayenge,
Ram Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Ram Ayenge ॥
——-
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge,
Shyam Ayenge Ayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge ॥

Shyam Jhulenge to,
Palna Jhulaungi,
Mithe Mithe Main,
Bhajan Sunaungi,
Meri Jindagi Ke,
Saare Duhkh Mit Jayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge ॥

Shyam Ayenge to,
Angna Sajaungi,
Dip Jalaake,
Diwali Manaungi,
Mere Janmo Ke Saare,
Paap Mit Jayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge ॥

Main to Ruchi Ruchi,
Bhog Lagaungi,
Makhan Mishri Main,
Shyam Ko Khilaungi,
Pyari Pyari Radhe,
Pyare Shyam Sang Ayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge ॥

Mera Janam Saphal,
Ho Jayega,
Tan Jhumega Aur,
Man Geet Gayega,
Shyam Sundar Meri,
Kismat Chamkayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge ॥

Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge,
Shyam Ayenge Ayenge,
Shyam Ayenge,
Meri Jhopdi Ke Bhag,
Aaj Khul Jayenge,
Shyam Ayenge ॥

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Ye Chamak Ye Damak Lyrics| ये चमक ये दमक – भजन

“Ye Chamak Ye Damak Lyrics” is a popular devotional bhajan (hymn) sung in praise of Lord Rama, Lord Krishna, or other Hindu deities, depending on the context and lyrical variations. The bhajan is characterised by its uplifting melody, rhythmic tune, and deeply spiritual lyrics that express the devotion and awe of the singer towards the divine.

Ye Chamak Ye Damak Lyrics in Hindi

ये चमक ये दमक,
फूलवन मा महक,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है,
इठला के पवन,
चूमे सैया के चरण,
बगियन मा बहार तुम्हई से है ॥मेरे सुख दुःख की रखते हो खबर,
मेरे सर पर साया तुम्हारा है,
मेरी नैया के खेवनहार तुम्ही,
मेरा बेड़ा पार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मैं तो भूल गयी कुछ भी कहना,
तोरी प्रीत में रोवत है नैना,
रग रग में बसी है प्रीत तोरी,
अखियन में खुमार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मेरा दिल ले लो मेरी जा ले लो,
मेरा तन ले लो मेरा मन ले लो,
मेरे इश्क को निस्बत है तुमसे,
जीवन श्रृंगार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मैं तो भूल गयी सब सुख चैना,
मोरे जबसे लडे तुम संग नैना,
मोरी नस नस में है प्रीत तोरी,
मेरा सब आधार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मेरा कोई नहीं है दुनिया में,
मेरा तौल करार तुम्हई से है,
मैं कहाँ जाकर सौदा बेचूं,
मेरा सब व्यापार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥
BhaktiBharat Lyrics

ये चमक ये दमक,
फूलवन मा महक,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है,
इठला के पवन,
चूमे सैया के चरण,
बगियन मा बहार तुम्हई से है ॥
– पं. सुधीर व्यास जी।

Ye Chamak Ye Damak Lyrics in English

ye chamak ye damak,
phoolavan ma mahak,
sab kuchh sarakaar tumase hai,
ithala ke pavan,
vhothe saaya ke charan,
bagiyaan maan bahaar tumase hai .mere sukh duhkh kee ho khabar,
mere sar par saaya ladakee hai,
meree naiya ke khevanahaar tumheen,
mera beda paar tumase hai,
sab kuchh sarakaar tumase hai .

main to bhool gaya kuchh bhee kah gaya,
toree preet mein rovat hai naina,
rag rag mein basee hai preet toree,
akhiyon mein khumaar tumheen se hai,
sab kuchh sarakaar tumase hai .

mera dil le lo meree ja le lo,
mera tan le lo mera man le lo,
meree ishk ko yakeen hai roshanee,
jeevan darshan tumase hai,
sab kuchh sarakaar tumase hai .

main to bhool gaya sab sukh chana,
more jabase lade tum sang naina,
moree nas nas mein hai preet toree,
mera sab aadhaar tumase hai,
sab kuchh sarakaar tumase hai .

mera koee nahin hai duniya mein,
mera upakaran tumheen se hai,
main kahaan bechoon,
mera sab vyaapaar tumase hai,
sab kuchh sarakaar tumase hai .
bhaktibhaarat geet

ye chamak ye damak,
phoolavan ma mahak,
sab kuchh sarakaar tumase hai,
ithala ke pavan,
doste saaya ke charan,
bagiyaan ma bahaar tumhai se.
-pan. antah vyaas jee.

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Ram Stuti Lyrics in English| श्री राम स्तुति Lyrics

Ram Stuti Lyrics in English. Ram Stuti is a devotional hymn or prayer dedicated to Lord Rama, one of the most revered deities in Hinduism. It is a poetic composition that glorifies the virtues, divine qualities, and deeds of Lord Rama. The stuti (praise) is typically chanted or sung by devotees to express their devotion, seek blessings, and invoke the presence of Lord Rama in their lives.

Ram Stuti Lyrics in Hindi

॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

Ram Stuti Lyrics in English

॥ Doha ॥
Shri Ramachandra Kripalu Bhajuman,
Harana Bhavabhaya Daarunam ।
Navakanja Lochana Kanja Mukhakara,
Kanja Pada Kanjaarunam ॥1॥

Kandarpa Aganita Amita Chhav Nava,
Neela Neerara Sundaram ।
Patapita Maanahum Tadita Ruchi Shuchi,
Navmi Janaka Sutaavaram ॥2॥

Bhaju Deena Bandhu Dinesh Daanav,
Daityavansha Nikandanam ।
Raghunanda Aananda Kanda Kaushala,
Chanda Dasharatha Nandanam ॥3॥

Sira Mukuta Kundala Tilaka Chaaru,
Udaaru Anga Vibhooshanam ।
Aajaanu Bhuja Shara Chaapadhara,
Sangraama-jita-khara Dooshanam ॥4॥

Iti Vadati Tulsidas Shankar,
Shesha Muni Manaranjanam ।
Mama Hridayakanja Nivaas Kuru,
Kaamaadi Khaladal Ganjanam ॥5॥

Manu Jaahin Raacheu Milihi so Baru,
Sahaja Sundara Saanvaro ।
Karuna Nidhaan Sujaan Seelu,
Sanehu Jaanat Raavaro ॥6॥

Ehi Bhaanti Gauri Asees Suni Siya,
Sahita Hiyan Harashi Ali ।
Tulsi Bhavaanihi Pooji Puni Puni,
Mudit Man Mandir Chalee ॥7॥

॥ Sortha ॥
Jaani Gauri Anukool,
Siya Hiya Harashu Na Jaye Kaheen ।
Manjula Mangala Moola,
Bam Anga Pharkana Lage ।

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Shiva Panchakshara Stotram Lyrics: शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् Lyrics & Meaning

Shiva Panchakshara Stotram Lyrics: शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् हिंदू धर्म में भगवान शिव की स्तुति के लिए एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है। इस स्तोत्र में भगवान शिव के दिव्य स्वरूप और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। “न-म-शि-वा-य” के पंचाक्षर मंत्र पर आधारित यह स्तोत्र भक्तों को शांति, सुख, और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। जो लोग भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए यह स्तोत्र अनमोल है। इस लेख में हम आपको शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् के संपूर्ण हिंदी में सुंदर और सटीक शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं। आइए, इस स्तोत्र के माध्यम से शिव भक्ति के पथ पर आगे बढ़ें।

What is Shiva Panchakshara Stotram?

शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् भगवान शिव की स्तुति में रचित एक अद्भुत और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो “नमः शिवाय” मंत्र के पाँच अक्षरों – न, म, शि, वा, य – पर आधारित है। इसे आदिगुरु शंकराचार्य जी ने रचा है, और यह शिव भक्ति का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव के गुण, उनके दिव्य स्वरूप, और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इसे श्रद्धापूर्वक पाठ करने से जीवन में शांति, सुख, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् का पाठ महाशिवरात्रि, सोमवार, या प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा के समय किया जाता है, जिससे भक्त को शिव की अपार कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् संस्कृत में – Shiva Panchakshara Stotram Lyrics in Sanskrit

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै  काराय नमः शिवाय ॥१॥मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै  काराय नमः शिवाय ॥२॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै  काराय नमः शिवाय ॥४॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै  काराय नमः शिवाय ॥५॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् हिन्दी अनुवाद:

शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य हैं, जो परम शिवभक्त थे। शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय पर आधारित है।
न – पृथ्वी तत्त्व का
म – जल तत्त्व का
शि – अग्नि तत्त्व का
वा – वायु तत्त्व का और
य – आकाश तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।

जिनके कण्ठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अंगराग है और दिशाएँ ही जिनका वस्त्र हैं अर्थात् जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर  कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥1॥

गङ्गाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मन्दार-पुष्प तथा अन्य पुष्पों से जिनकी भलिभाँति पूजा हुई है। नन्दी के अधिपति, शिवगणों के स्वामी महेश्वर  कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥2॥

जो कल्याणस्वरूप हैं, पार्वतीजी के मुखकमल को प्रसन्न करने के लिए जो सूर्यस्वरूप हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करनेवाले हैं, जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिह्न शोभायमान है, ऐसे नीलकण्ठ शि कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥3॥

वसिष्ठ मुनि, अगस्त्य ऋषि और गौतम ऋषि तथा इन्द्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, ऐसे  कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥4॥

जिन्होंने यक्ष स्वरूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक* है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, ऐसे दिगम्बर देव  कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥5॥

जो शिव के समीप इस पवित्र पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी के साथ आनन्दित होता है।
* पिनाक: शिवधनुष

Shiv Panchakshar Stotram Lyrics in English: (शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र)

Nagendraharaya Trilochanaya
Bhasmangaragaya Mahesvaraya
Nityaya Suddhaya Digambaraya
Tasmai Na Karaya Namah ShivayaMandakini Salila Chandana Charchitaya
Nandisvara Pramathanatha Mahesvaraya
Mandara Pushpa Bahupushpa Supujitaya
Tasmai Ma Karaya Namah Shivaya

Shivaya Gauri Vadanabja Brnda
Suryaya Dakshadhvara Nashakaya
Sri Nilakanthaya Vrshadhvajaya
Tasmai Shi Karaya Namah Shivaya

Vashistha Kumbhodbhava Gautamarya
Munindra Devarchita Shekharaya
Chandrarka Vaishvanara Lochanaya
Tasmai Va Karaya Namah Shivaya

Yagna Svarupaya Jatadharaya
Pinaka Hastaya Sanatanaya
Divyaya Devaya Digambaraya
Tasmai Ya Karaya Namah Shivaya

Panchaksharamidam Punyam Yah Pathechchiva
Sannidhau Shivalokamavapnoti Sivena Saha Modate

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Shendur Lal Chadhayo Lyrics in Hindi: शेंदुर लाल चढ़ायो आरती

Shendur Lal Chadhayo Lyrics in Hindi: भगवान गणेश जी को बाधाओं को दूर करने वाला और सौभाग्य लाने वाला, कला व विज्ञान का संरक्षक और बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। आज हम भगवान गणेश की आरती यानि “शेंदुर लाल चढ़ायो” (Shendur Lal Chadhayo Lyrics in Hindi) के बारें में जानेंगे।

भगवान गणेश और पार्वती के पुत्र हैं और वह युद्ध के देवता कार्तिकेय (या सुब्रह्मण्य) के भाई हैं । माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने के पश्चात भगवान गणेश जी की आरती (Shendur Lal Chadhayo Lyrics in Hindi) की जाती है।

धार्मिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार व्रत तथा त्योहारों के अलावा भी सुबह – शाम भगवान गणेश जी की आरती करनी चाहिए। अगर आप रोज़ नहीं कर सकते तो बुधवार के दिन भी भगवान गणेश जी की आरती की जा सकती है।

Shendur Lal Chadhayo Lyrics in Hindi

|| शेंदुर लाल चढ़ायो आरती ||

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको
जय देव जय देव (1)

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव (2)

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतत संपत सबही भरपूर पावे (3)

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे
जय देव जय देव (4)

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव (5)

घालिन लोटांगण वंदिन चरण
डोलयाणी पाहीन रूप तुझे
प्रेमए आलिंगीं आनन्दे पूजीं
भावे ओवालिन म्हाने नामा (6)

त्वामेव माता पिता त्वामेव
त्वामेव बंधूषछ सखा त्वामेव
त्वामेव विद्या द्रविन्म त्वामेव
त्वामेव सर्वाँ माँ देव देव (7)

काएँ वाच मानसेंद्रियायरवा
बुद्धयातमाना वा प्राकृतिस्वभावा
करोमी यद्यत सकलम पारासमै
नारायनायेटी समरपायमी (8)

अच्युत केशवम् रामनारायनाँ
कृष्णदामोदराम वासुदेवं हरी
श्रीधरम माधवाँ गोपीकवल्लभं
जानकिनायकम रमचंड्रम भजे (9)

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे

शेंदूर लाल चढायो आरती: हिंदी अर्थ

श्लोक 1 –

मैं हाथी के सिर वाले भव्य और सुन्दर भगवान को लाल सिन्दूर चढ़ाता हूँ।
मैं उन गौरीपुत्र को प्रणाम करता हूँ, जो बड़े पेट वाले, वैभव से विराजमान हैं।
उनके हाथों में गुड़ का लड्डू है।
उनकी महिमा ऐसी है कि उसका वर्णन करते समय शब्द कम पड़ जाते हैं।
गणों के राजा आपकी जय हो। (1)

श्लोक 2 –

हे ज्ञान और सुख के दाता श्री गणेश, आपकी जय हो।
जब मैं आपका स्मरण करता हूँ, तो मेरा मन पूरी तरह से आपमें लीन हो जाता है। आपके दर्शन से मुझे बहुत आनंद मिलता है।
आपकी जय हो हे प्रभु! आपकी जय हो हे प्रभु! (2)

श्लोक 3 –

आप आठ प्रकार की शक्तियों को प्रदान करने वाले तथा सभी प्रकार के संकटों और संकटों को दूर करने वाले हैं।
आप सभी शुभ अधिकारी हैं तथा सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं।
आपका स्वरूप ऐसा है जैसे लाखों सूर्य एक साथ चमक रहे हों।
आपके गाल और माथा चंद्रमा के समान ही दैदीप्यमान हैं।
गणों के राजा, आपकी जय हो। (3)

श्लोक 4 –

ज्ञान और सुख के दाता श्री गणेश, आपकी जय हो।
जब मैं आपके बारे में सोचता हूँ, तो मेरा मन पूरी तरह से आप में लीन हो जाता है, और आपके दर्शन से मुझे बहुत खुशी मिलती है।
आपकी जय हो हे प्रभु! आपकी जय हो हे प्रभु! (4)

श्लोक 5 –

आप इतने दयालु हैं कि यदि कोई सच्चे मन और उद्देश्य से आपकी शरण में आता है, तो उसे धन-संपत्ति या वंश सब कुछ प्राप्त होता है,
जो उसकी अपेक्षाओं से कहीं अधिक है। हे राजाओं के राजा, आपका व्यक्तित्व ऐसा है कि मैं आपके रूप पर मोहित हो गया हूँ।
और यह आप ही हैं, जिनकी स्तुति में गोसाविनंदन प्रतिदिन गीत गाते हैं। (5)

श्लोक 6 –

हे प्रभु! आपके चरणों में लेटकर प्रणाम करूंगा!
अपनी आंखों से देखूंगा सुंदर रूप तेरा और
तुम्हें अपने सारे प्यार से गले लगाऊंगी और सारी खुशियों के साथ तुम्हारी पूजा करूंगी!
और ऐसा करके, पूरी भक्ति के साथ आपकी पूजा करूँगा और अपने आप को आपको अर्पित करूँगा! नामा (संत नामदेव) कहते हैं, मैं पूरे मन (भक्ति, भावना) से आपकी पूजा करता हूँ। (6)

श्लोक 7 –

आखिर आप ही मेरी माता हैं, आप ही मेरे पिता हैं;
तुम मेरे सहोदर और मेरे साथी हो;
तुम वह ज्ञान हो जिसकी मुझे तलाश है और वह धन हो जिसकी मुझे लालसा है!
आप ही मेरे सबकुछ हैं, आप ही मेरे सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं !! (7)

श्लोक 8 –

ऐसा जानकर, अपने शरीर के द्वारा तथा इस सीमित बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा प्रयत्न करके,
इसी प्रकार बुद्धि से, स्वयं से, स्वभाव से और व्यवहार से,
उपरोक्त सभी के साथ मैं जो कुछ भी करता हूं,
हे भगवान नारायण, मैं वह सब आपको अर्पित करता हूँ !! (8)

श्लोक 9 –

हे अचूक आपको मैं नमस्कार करता हूँ, हे केशव आपको नमस्कार है,
हे नारायण के अवतार राम आपको नमस्कार है
हे कृष्ण, जिन्हें दामोदर के नाम से जाना जाता है आपको नमस्कार है,
हे वासुदेव आपको नमस्कार है, हे हरि आपको नमस्कार है,
हे श्रीधर आपको नमस्कार है, हे माधव आपको नमस्कार है,
मैं आपको नमस्कार करता हूँ जानकी के प्रभु !! (9)

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Radhika Gori Se Lyrics | राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से मैया करादे मेरो ब्याह लिरिक्स

राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से,
मैया करादे मेरो ब्याह,
उम्र तेरी छोटी है नजर तेरी खोटी है,
कैसे करा दु तेरो ब्याह…

जो नही ब्याह कराए, तेरी गैया नही चराऊ,
आज के बाद मेरी मैया, तेरी देहली पर ना आऊ,
आऐगा, रे मजा, रे मजा, अब जीत हार का,
राधिका गोरी…

चंदन की चौकी पर, मैया तुझको बिठाऊँ,
अपनी राधा से मै, चरण तेरे दबवाऊ,
भोजन मै बनवाऊँगा, बनवाऊँगा, छप्पन प्रकार के,
राधिका गोरी…

छोटी सी दुल्हनिया, जब अंगना में डोल्ले गी,
तेरे सामने मैया, वो घूँघट ना खोलेगी,
दाऊ से जा कहो, जा कहो, बैठेंगे द्वार पे,
राधिका गोरी ……

सुन बातें कान्हा की, मैया बैठी मुस्काए,
लेके बलइया मैया, हिवडे से अपने लगाए,
नजर कहि लग जाए, ना लग जाए, ना मेरे लाल को,
राधिका गोरी ……

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Ram Ko Dekh Kar Janak Nandini Lyrics | राम को देख कर श्री जनक नंदिनी

राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी,
राम देखे सिया माँ सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी….

थे जनकपुर गये देखने के लिए,
सारी सखियाँ झरोकान से झाँकन लगी,
देखते ही नजर मिल गयी दोनों की,
जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी….

बोली है एक सखी राम को देखकर,
रच दिए है विधाता ने जोड़ी सुघर,
पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर,
सब में शंका बनी की बनी रह गयी….

बोली दूजी सखी छोटन देखन में है,
पर चमत्कार इनका नहीं जानती,
एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी,
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी….

राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी,
राम देखे सिया माँ सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी….

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Mera Aapki Kripa Se Lyrics: मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है

मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥

पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है।
हैरान है ज़माना मंजिल भी मिल रही है।
करता नहीं मैं कुछ भी, सब काम हो रहा है॥

तुम साथ हो जो मेरे, किस चीज की कमी है।
किसी और चीज की अब दरकार ही नहीं है।
तेरे साथ से गुलाम अब गुलफाम हो रहा है॥

मैं तो नहीं हूँ काबिल, तेरा पार कैसे पाऊं।
टूटी हुयी वाणी से गुणगान कैसे गाऊं।
तेरी प्रेरणा से ही सब यह कमाल हो रहा हैं॥

मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥

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